वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है. इस दिन दर्श अमावस्या का भी संयोग बन रहा है. इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखद दांपत्य जीवन के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं. वट सावित्री का व्रत सौभाग्य की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है. आइए जानते हैं कि इस वर्ष वट सावित्री व्रत की सही तिथि क्या है.
वट सावित्री व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, खासकर विवाहित महिलाओं के लिए. यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को किया जाता है. हालांकि, उत्तर भारत की महिलाएं इसे एक दिन पहले करती हैं, जबकि महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत की महिलाएं इसे उत्तर भारतीयों से 15 दिन बाद करती हैं. इस दिन विशेष रूप से बरगद के पेड़ की पूजा करना अनिवार्य होता है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश बरगद के पेड़ में निवास करते हैं. अगर आप भी इस व्रत को रखने की योजना बना रहे हैं, तो यहां जानिए इससे जुड़ी सभी जरूरी जानकारी.
वट सावित्री व्रत के नियम
व्रत की तैयारी: इस दिन महिलाएं बिना पानी के उपवासी रहती हैं, इसलिए अपनी सेहत का ध्यान रखना बेहद जरूरी है.
सकारात्मक सोच: व्रत के दौरान अपनी सोच को सकारात्मक रखें और मन को दिव्य शक्ति में केंद्रित करें.
नकारात्मकता से बचें: किसी भी प्रकार की नकारात्मकता या बुरी बातें दूसरों से न कहें.
परिवार के आशीर्वाद लें: इस दिन परिवार के बुजुर्गों से आशीर्वाद लेना बहुत शुभ माना जाता है.
व्रत के दौरान पहनावा: महिलाएं लाल रंग के वस्त्र पहनें और 16 श्रृंगार से सजी रहें.
तामसिक भोजन से बचें: इस दिन तामसिक आहार का सेवन नहीं करना चाहिए.
पतिव्रता को सम्मान दें: अपने पति से किसी भी प्रकार के विवाद या बहस से बचें.

विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखद दांपत्य जीवन के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं।
